SOFTWARE
software को किसी कार्य को करने के लिए निर्देश देता है इससे आप कंप्युटर मे आसानी से कार्य कर सकते है | वैसे तो सभी कंप्युटर मे सॉफ्टवेयर अपलोड होकर आते है |
प्रोग्रामों के समूह को सॉफ्टवेयर कहते है |
अगर कंप्युटर मे सॉफ्टवेयर नहीं है तो कंप्युटर किसी भी काम का नहीं होता है क्योंकि जिस प्रकार शरीर मे आत्मा ना हो तो शरीर बेकार हो जाता है अर्थात कोई वैल्यू नहीं होती है उसी प्रकार बिना सॉफ्टवेयर के कंप्युटर बेकार होते है |
अब कंप्युटर मे सॉफ्टवेयर की महत्व को समझ हो चुके होंगे | जैसा की आप अभी इस लेख को chrome ये कोई अन्य ब्राउजर मे पढ़ रहे ये ब्राउजर भी सॉफ्टवेयर है अगर ये ना हो तो कुछ नहीं है |
जो सॉफ्टवेयर होते है वो कंप्युटर को किसी कार्य करने योग्य बनाते है |
कंप्युटर मे हम जो भी कार्य या किसी भी प्रकार का कार्य कर रहे होंगे वो किसी ना किस सॉफ्टवेयर पर ही कर रहे होंगे |
सॉफ्टवेयर के निर्देशों के अनुसार ही हार्डवेयर कार्य करते है |
सॉफ्टवेयर वे डिवाइस होते है जिन्हे हम छु नहीं सकते अर्थात हम किसी वस्तु को देख तो सकते है लेकिन छू नहीं सकते सॉफ्टवेयर कहलाते है | जैसे की आप कंप्युटर स्क्रीन मे या मोबाईल स्क्रीन मे किसी भी चीज को छु नहीं सकते आपको लगेगा की आप छू रहे है लेकिन आप उस चित्र या जो भी वस्तु छु रहे उसके नहीं छु रहे होते आप स्क्रीन को छु रहे होते |
किसी कार्य को करने के लिए सॉफ्टवेयर की जरूरत होती है आप कंप्युटर मे अलग अलग कार्य करते है तो कार्य के अनुसार सॉफ्टवेयर को develop किया गया है |
सॉफ्टवेयर को बनाने के लिए कुछ मशीन लैंग्वेज है जिन्हे आपको गहन तरीके से पढ़ना होगा और आप अपना हाथ प्रोग्रामिंग या सॉफ्टवेयर निर्माण मे आजमा सकते है |
जिस प्रकार हमारे शरीर मे mind सॉफ्टवेयर की तरह कार्य करता है हमरा शरीर मे जो हाथ पैर और जो भी अंग है वो हार्डवेयर की तरह कार्य करते है |
SOFTWARE दो प्रकार के होते है -
1 सिस्टम सॉफ्टवेयर ( system software )
2 ऐप्लकैशन सॉफ्टवेयर ( application software )
सॉफ्टवेयर के दोनों प्रकार को विस्तार से जानेंगे =
1 सिस्टम सॉफ्टवेयर (SYSTEM SOFTWARE)
SYSTEM SOFTWARE वे सॉफ्टवेयर होते है जिन्हे यूजर और कंप्युटर के बीच क्रियावंतिक रखे अर्थात कंप्युटर और यूजर के बीच relation बनाकर रखे | सिस्टम सॉफ्टवेयर ऐसे बनाए जाते है जो यूजर फ़्रेंडली हो अर्थात यूजर आसानी से कार्य कर सके सिस्टम सॉफ्टवेयर सभी हार्डवेयर को कंट्रोल करके रखता जिससे कार्य आसानी हो सके | सिस्टम का अर्थ ही है सभी कार्यों को सीस्टमैटिक रूप से हो जिससे यूजर और कंप्युटर के कोई समस्या न हो ये सॉफ्टवेयर ऐसे बनाए जाते जो सभी कंप्युटर मे चल सके |
अगर सिस्टम सॉफ्टवेयर ना हो तो आप सीधे कंप्युटर से कोई कार्य नहीं कर सकते | क्योंकि सिस्टम सॉफ्टवेयर ही कंप्युटर को संचालित करता है उसे कार्य करने का निर्देश देता है | अगर सिस्टम सॉफ्टवेयर ना हो तो हम निर्देश कुछ और देंगे करने के लिए लेकिन करेगा कुछ और , अर्थात बिना सिस्टम सॉफ्टवेयर के कंप्युटर डब्बा है |
सिस्टम सॉफ्टवेयर के भी कई प्रकार होते है - जानते
1 सिस्टम मैनिज्मेंट प्रोग्राम - जैसा की नाम से ही पता चलता है की सिस्टम मैनिज्मन्ट अर्थात कंप्युटर मे सभी तरह की क्रिया को मैनेज करके रखते है |
2 ऑपरेटिंग सिस्टम - ऑपरेटिंग सिस्टम कंप्युटर की सभी तरह के के कार्यों को करने के लिए यूजर और कंप्युटर के बीच तालमेल बैठने का कार्य करती है |
ये यूजर के कार्य को करने के लिए कंप्युटर को तैयार करके रखता है | कुछ प्रमुख्य ऑपरेटिंग सिस्टम है -
विंडोस , XP , MS DOS , LINUX , UNIX ये सभी उद्धहरण ऑपरेटिंग सिस्टम के है | जो आपके पास मोबाईल होता है उसमे ANDROID नाम का ऑपरेटिंग सिस्टम होता है |
3 डिवाइस ड्राइवर - ये अलग अलग सॉफ्टवेयर को सचलन करने के स्थापित किया जाता है | अगर आप कोई आउट्पुट डिवाइस जोड़ रहे है तो आपको drivers को जरूर डाउनलोड करना पड़ेगा जब आप प्रिंटर जोड़ते है तो उसका ड्राइवर भी उसके साथ डाउनलोड करना पड़ता है
प्रश्न 1 ड्राइवर कहा होता है ?
अगर आप प्रिंटर जोड़ रहे है तो जहा से प्रिंटर खरीद होगा उसी मे एक CD आती है उसी को अपने लैपटॉप या कंप्युटर के CPU लगाकर डाउनलोड करले फिर प्रिंटर कार्य करेगा अगर आपने ड्राइवर डाउनलोड नहीं किया तो कंप्युटर बिल्कुल भी कार्य नहीं कारेगा । अगर आप माउस या कीबोर्ड जोड़ते है तो इसके ड्राइवर आटोमटिक रन होने लगते है |
4 सिस्टम यूटिलिटी -
ये प्रोग्राम कंप्युटर के सुरक्षा को ध्यान मे रखते हुआ बनाया जाता है ये कंप्युटर को सुरक्षा प्रदान करते है | ये प्रोग्राम ऐसे होते जो कंप्युटर मे उपस्थित वायरस या और किसी प्रकार से कंप्युटर डैमिज है आदि को clear करने के लिए बनाय जाते है | अगर आपके पास मोबाईल है तो उसमे भी वायरस डिटेकटोर नाम का ऐप्लकैशन होता जिससे आपके मोबाईल मे कोई वायरस जाए तो उसे साफ करने के लिए यूटिलिटी सॉफ्टवेयर बनए जाते है |
कुछ यूटिलिटी सॉफ्टवेयर -
DISK COMPRESSION
ANTI VARUS SCANNER
BACKUP UTILITY
DISK FRAGMENTOR
और भी है जो यूटिलिटी सॉफ्टवेयर है आपको कुछ महत्व पूर्ण बता दिया गया है |
APPLICATION SOFTWARE - ये वे सॉफ्टवेयर होते है जो वास्तव मे हमारे कार्य के लिए बनाय जाते है जैसे हमे गणना करना है तो कैलक्यूलेटर ऐप्लकैशन का प्रयोग , और भी हिसाब किताब करने के लिए अलग अलग अपलिकाटीऑन का प्रयोग करते है इन्हे शॉर्ट कट मे AAPS ऐप्स भी बोलते है |
ऐप्लकैशन सॉफ्टवेयर दो प्रकार के होते है -
1 समान्य उद्देश्य सॉफ्टवेयर
2 विशिष्ट उद्देश्य सॉफ्टवेयर
1 सामान्य उद्देश्य सॉफ्टवेयर - इन सॉफ्टवेयर से हम अपने सामान्य कार्यों को अर्थात दैनिक कार्यों मे प्रयोग होने वाले सॉफ्टवेयर होते है |जैसे word processing करना , spreadsheet तैयार करना , database बनाना ये सभी कार्यों को करने के सामान्य कार्यों के लिए है |
2 विशिष्ट उद्देश्य सॉफ्टवेयर - इसमे रिपोर्ट कार्ड जनरेटर , accounting का कार्य , बिल सिस्टम , रिसर्वतिओन सिस्टम इत्यादि कार्य इसमे होते है |
= तो दोस्तों आज हमने सॉफ्टवेयर के बारे मे डीटेल से जानकारी ली है अगर आपको लगता है की आपने कंप्युटर मे महारथ हशील की है तो आप हमारे पेज मे आकर टेस्ट दे सकते है जिससे आप अपने महानते के गुण सभी जगह नहीं गया पाएंगे | कोई प्रॉब्लेम हो तो COMMENTKRKE BTA DE
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